हाँ एक दिन आएगा वो,
छू लूंगी मैं एक दिन सफलता का आसमान,
हो कर परे इस दुनिया की
जद्दोजहद भरी उम्मीदों से
हाँ एक दिन पा लूंगी मैं
वो मुकाम जिसका ख्वाब
है बुना मैंने नीले आसमान तले
बनावटी दुनिया के ख्यालो से परे
हाँ मुक़म्मल हो जाएगी हर ख्वाईश मेरी
जिसके लिए पलकें मेरी ना जाने कितनी तरसी,
छू लूंगी मैं वो ख्वाईश भरा आसमां
जिसकी आगोश में मेरी सुनहरी रातें जगी,
हाँ बस कुछ पल की मुद्द्त और है,
हाँ कुछ पल को उम्मीद और,
पा ही लूंगी मैं वो आसमान
अथाह सफलता जिसका छोर है।
हाँ रंग ला रही है मेहनत मेरी
हाँ कुछ मेहनत बाकि और है,
खामोश रहना है अब मुझे
सफलता मचाने वाली शोर है…
निकेता पाहुजा ✍️
रूद्रपुर उत्तराखंड