आँखें भरमाई सी,नींदे अलसाईं सी!
जाग उठती है हर छुट्टी की सुबह!!
 
अरमान कसमसाये से, जहन में कुम्हलाये रे!
पालें मंजिल जो मिल जाए, छुट्टी की सुबह!!
लम्हे तन्हा से, जज्बात संकुचाये से!
हो जाएँ उन्मुक्त जो मिल जाए, छुट्टी की सुबह!!
बारिश अम्ल सी, रातें जहर सी!
खुशगवार हो जाएं, जो मिल जाए छुट्टी की सुबह!!
बचपना दबा सा, इच्छाएं रुसवा सी!
मदहोश हो जाए, जो मिल जाए, छुट्टी की सुबह!!
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