चौदहवीं की चांद सी
सुंदर पृथ्वी हमारी ,
संपूर्ण ब्रह्मांड में
लगती है, कितनी प्यारी ।।
नीलवर्ण समुद्र से ढकी
हरे -भरे पेड़ों से आच्छादित,
जीवनदायिनी है पृथ्वी
सृष्टि को करती आलोकित ।।
आओ प्रण ले हम मिलकर
धरती माता का फर्ज निभाएंगे,
अपनी लालसा के खातिर
तुझको न कष्ट पहुंचाएंगे ।।
चौदहवीं की चांद सी
सुंदर पृथ्वी हमारी ,
जगत जननी विश्व की
तुम ही मैय्या हमारी ।।
निजी जरूरतों के खातिर
न देंगे तुझे उजाड़ने,
निकलेंगे संकल्प ले
अब सिर्फ, तुम्हें सवांरने ।।
सुंदर रहे हमारी पृथ्वी
बात हमने हैं ठानी
स्वच्छता से पूर्ण हो धरती
रहे खुशहाल जिंदगानी ।।
चौदहवीं की चांद सी
सुंदर पृथ्वी हमारी 
संपूर्ण ब्रह्मांड में
लगती है, कितनी प्यारी ।।
       ✍️मनीषा ठाकुर(कर्नाटक)
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