चौदहवीं के चांद सा प्यारा है मेरा दिलवर 
सीधा सादा है मगर बड़ा सच्चा प्रियवर !
गुरुर है  चांद को कि उसके पास नूर है 
उसको क्या पता कि मेरा दिलवर भी कोहिनूर है !
उसकी एक हंसी पे हूं जां निसार करती
चांद के दीदार का मैं, हूं  इंतजार करती हूं!!
चांद की खूबसूरती में  पहरा जब है दिखता 
मेरे चांद का प्यार और भी गहरा होता जाता
काश वो आसमान का हम चांद सितारा हो जाते
लोग हमे  देखते दूर से,  हम साथ साथ  में होते !!
चांद भी शर्मा जाता जब चांद मेरा दिख जाए
जाकर झट वो शर्म के मारे बादल में छुप जाए
चांद को देख आसमान में सब मन ही मन हर्षाए
मन मेरे चांद को देख के ,पुलकित सा हो जाए !!
मेरे चादहवीं के चांद को,कहीं नजर  नही लग जाए 
अपने जुल्फों में समेट उसे, बुरी नजर से हम बचाएं!!
पूनम श्रीवास्तव
नवी मुम्बई
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