रीया आज पहली बार अकेले सफ़र कर रही थी ,उसे बी इड के पेपर देने दिल्ली अपनी बुआ के घर जो जाना था
गाड़ी के चलते चलते ही वो पहुंची थी। जल्दी बाजी में वह अपनी सीट भी नहीं ढूंढ पाई और जहां खाली सीट मिली वहीं बैठ गई। तभी एक युवक भागता भागता गाड़ी में चढ़ा और उसके पास वाली सीट पर आकर बैठ गया
वह दोनों ही अपने सीट नंबर से गलत सीट पर बैठे हुए थे
जैसे ही गाड़ी चली और टीटी आया उसने दोनों को वहां से उठाते हुए बोला कि यह आप दोनों की सीट नहीं है अगले कंपार्टमेंट में आपकी सीट है वहां जाइए
दोनों ने ये सुनकर एक दूसरे की तरफ देखा और चल दिए
दोनों की सीट वहां भी पास पास ही थी दोनों एक दूसरे से बातचीत करने लगे और दोनों को एक दूसरे का साथ अच्छा लग रहा था
जयपुर से दिल्ली का सफर कैसे गुजर गया पता ही नहीं चला। दोनों के दिल में एक दूसरे के लिए भावनाएं जन्म ले रही थी जहां रिया बहुत ज्यादा सुंदर नहीं थी परंतु उसकी बड़ी बड़ी आंखें और सादगी, रोहन के मन को भा गई थी
वही रिया को भी रोहन का हसमुख स्वभाव भा गया था
जैसे-जैसे दिल्ली पास आ रहा था दोनों को एक दूसरे से दूर जाने की बेचैनी हो रही थी
तब रोहन ने अपने प्यार का इज़हार करने के लिए
रिया के सामने एक गाना गाया
चौदहवीं का चांद हो या आफ ताब हो जो भी हो तुम खुदा की कसम ……….और आंखो ही आंखो में दोनों के प्यार का आगाज हो गया
समय अपनी रफ़्तार से बीता और दोनों ने अपने घर पर
बताया ।लेकिन वो कहते है ना
कभी किसी को मुक्मल जहा नहीं मिलता
कभी जमीन तो कभी आसमान नहीं मिलता ।
दोनों की जाति यहां भी दुश्मन बन गए,और दोनों एक दूसरे से दूर हो गए
आज भी रीया ये गाना सुनती है तो बस आह भर कर रह जाती है
चौदहवीं का चांद हो…………….
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रेणु सिंह राधे
कोटा राजस्थान