शिव शक्ति की उपासना का त्योहार
बिन माँगे मोती मिले सबको उपहार
प्रकृति पुरुष नहीं इक दूजे से विलग
बना है महाशिवरात्रि इसका आधार
सत्यम् शिवम् सुन्दरम् से बना संसार
प्रकृति पुरुष इक दूजे को करे स्वीकार
महाशिवरात्रि कराता हमें इसका भान
भक्ति के पथ पर हो सकेगा तभी उद्धार
महाशिवरात्रि सी ना हुई कोई दूजी रात
गौरी को ब्याहने आए शंकर ले बारात
बताते प्रकृति पुरुष इक दूजे के पूरक
हृदय में कराए चेतनता का आभास
शिव शक्ति पर हर पल करें समर्पण
मोह माया तज सब कर दें हम अर्पण
महाशिवरात्रि आदियोगी को करे नमन
प्रकृति पुरुष प्रेम का हुआ है पदार्पण
आरती झा(स्वरचित व मौलिक)
दिल्ली
सर्वाधिकार सुरक्षित©®