गठबंधन का दौर चल  रहा है आज चुनावों में।
दो-दो तीन दलों का होता गठबंधन चुनावों में।
राजनीति में होता रहताहै अक्सर ये गठबंधन।
कैसे जीतें लोग चुनावी गणित काहै गठबंधन।
सर्वप्रथम  ईश्वर बनाता है जोड़ों का गठबंधन।
दर-दर भटके पिता बेटी का ढूँढे वो गठबंधन।
जब तक जहाँ लिखा होता वह घर न मिलता।
तबतक रिश्ता न होता न बेटी का वर मिलता।
2परिवारों के 2अजनबियों का है एक मिलन।
परिणय सूत्र में बँधते हैं तो होता मधुर मिलन।
विवाह मंडपम में दूल्हा-दुल्हन का गठबंधन।
चुनरी के संग अंगौछे की  टोंक का गठबंधन।
सात फेरे संग-संग लेते हैं बाँधे हुए गठबंधन।
सात वचनों से बंधा हुआ है जीवन गठबंधन।
जीवन भर संग जीने मरने  का यह गठबंधन।
शुभ कार्यों में होता  पति-पत्नी का गठबंधन।
कायस्थों में 1प्रथा होती जिसे कहें गठबंधन।
प्रथम गर्भस्थ शिशु का 7वें माह में गठबंधन।
कहीं-कहीं इसे कहतेहैं गोद भरी की है पूजा।
मात-पित्र बनने के पूर्व गठबंधन की है पूजा।
कुछ गठबंधन स्वार्थ की भेंट भी चढ़ जाते हैं।
मन का मीत नहीं मिलता तो भी चढ़ जाते हैं।
राजनीति में भी गठबंधन टूटते बनते रहते हैं।
तय बातों से अलग चले तो ज्यादा न रहते हैं।
यह गठबंधन निभाना भी एक कला है होती।
राजनीति में हो या पति-पत्नी के बीच होती।
एक दूजे के मनोभावों के आदर से गठबंधन।
कुछ सब्र और संतोष से ही निभे ये गठबंधन।
गठबंधन कोई भी हो उसका एक धरम होता।
दो के बीच में सच्चाई ईमानदारी करम होता।
रचयिता :
डॉ. विनय कुमार श्रीवास्तव
वरिष्ठ प्रवक्ता-पीबी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.
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