चाय का अपना ही एक अलग अंदाज है,

इसके हर एक घुंट मे ताजगी का एहसास है,

हर वक़्त इसके मिलने की आस है,

दिख जाए कही तो ललचाती है, हर मौसम मे भाती है ,

महफ़िल भी जमवाती सबके मन को भाती है ,

कही कम तो कही ज्यादा हर मौसम मे ये बनती है,

छोटी इसकी चुस्की है पर करती बड़ी गर्मी है,

न जाने ये कितनों को पास लाती है,

अंजाने लोगों से भी मिलाती है,

थकान को मिटाती है, सर दर्द को दूर भगाती है।।

तो चाय पीने मे न करो शर्म,

कोई क्या सोचे न रखो भरम,

पहुच जाओ कहीं भी जहाँ मिले चाय गरम गरम। ☕☕☕

प्रिती उपाध्याय@

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PritiUpadhyay

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