कभी खुशियों के दिन.
कभी गमों की रात।
कभी चाँद की चाँदनी
कभी अमावस की रात।
कभी धूप की तपिश
कभी सावन की बरसात
कभी काँटो से भरा दिन
कभी गुलाबों से सजी रात।
कभी अधरों पे मुस्कान
कभी दर्द भीगी आये रात।
जीवन की इस पटरी पर
पतझड़ बसंत है चलते साथ।
प्रभु का फैसला है सब
सब उनकी दी सौगात।
सबको अपनाना सहर्ष जीवन में
यही है पते की बात।
मोक्ष द्वार खुल जायेगा तेरा
बस मान चहुँओर उसका बसेरा।
गरिमा राकेश गौत्तम ‘गर्विता’
कोटा, राजस्थान
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