चलचित्र की कहानी सपनों की नगरी, मनभावन कलाकृतियां कलाकारों की ज़ुबानी, दिल की कहानी, कहानियों में हज़ारों सपने, ना जाने कितने राज़ हैं इन सपनों की परछाइयों में। कुछ नज़ारे बन जाते हैं और कुछ नज़रों में छप जाते हैं, रंगीन नज़ारे नज़ारों की रंगीलियां जिससे बन जाती है चलचित्र की कथाएं। इन कथाओं के बहुत से पन्ने अस्तित्व को झकझोर कर रख देते हैं और कुछ मन को प्रफुल्लित कर जाते हैं। कुछ मन की गहराइयों में बस जाते हैं और कुछ हमें एक सच्ची सी सीख दे जाते हैं। कुछ कहानियों के किरदार फसाने बना देते हैं और कुछ स्मृतियां छोड़ जाते हैं। इन्हीं कहानियों में किसी को रास्ते मिल जाते हैं और किसी के रास्ते बिछड़ जाते हैं। यह चलचित्र की कहानी एक ऐसी कहानी है जो किसी का नसीब बन जाती है और किसी का बिगाड़ देती है। फिर भी कभी समाप्त ना होती चलचित्र की ज़ुबानी, है रंगीन कहानी।
प्रिया धामा
भिलाई, छत्तीसगढ़