चलचित्र की भांति सब यादें नजरों से गुजर रही ,
एक साल अपनी जिंदगी से और कम हो रही।
जितनी खूबसूरत यादें बनाई थीं इस साल मैंने,
यादों की तिजोरी में कैद समय के प्रवाह में हर पल फिसल रहा।।
खट्टी मीठी तकरार और बेकरारी से इंतज़ार
मानो वक्त थम गया और जिंदगी से एक साल ओर गुज़र रहा।।
इस गुजरते वक्त में कुछ यादें और बनाते हैं ,
चलो आज खुलकर फिर मुस्कुराते हैं।।
कुछ ख्वाब अब भी सीने में पल रहे हैं,
तुम्हारे साथ हर पल जैसे ,
उम्मीदों के दिए जल रहे हैं।।
तुम्हारे आने से यह पल फिर से ठहर गया।
तुम आए और चले गए हर लम्हा गुज़र रहा।।
चलचित्र की भांति ही तुम्हारी हर याद को दिल में छुपा लिया।
तुम आओगे फिर से आस को दिल में सजा लिया।।
हम रहेंगे हमेशा साथ भले, यह वक्त फिसल रहे।
बस यूं ही आशाओं का दीप जलता रहे।।
अम्बिका झा ✍️