लगावेलु टिकुली कमाल गोरिया रे।
चमकेले टिकुली तोहार गोरिया रे।
दूनों भौहँन के बीचे में बिंदी लाल-लाल।
चमकेला तोहर जगमग सगरो लिलार।
बढ़ जाला तिरिया के श्रृंगार गोरिया रे।
चमके लाल-लाल टिकुली तोहार गोरिया रे।
गोरखपुरवा से हमसे से टिकुली मंगवलू।
सज-संवर के सुन्नर टिकुली लगवलू।
अंखियन में भर लेहलू खुमार गोरिया रे।
चमके लाल-लाल टिकुली तोहार गोरिया रे।
साड़ी पहिन ले लू जब भागलपुर वाली।
अँगिया के उपरा ले लू पल्लू के डारी।
कजरा लगा ले लू मरकार गोरिया रे।
चमके लाल-लाल टिकुली तोहार गोरिया रे।
ओंठवा पर लगाई के लाल लाल लाली।
कनवा में पहिन के सोनवा के बाली।
रूपवा निहार के लजालू गोरिया रे।
चमके लाल-लाल टिकुली तोहार गोरिया रे।
लाल -लाल कँगना खन खनकावेलू।
बजनी पायलिया छन छनकावेलू।
चलेलू मटक के ई दिल निकार गोरिया रे।
चमके लाल-लाल टिकुली तोहार गोरिया रे।
नागिन नीयर लट आपन जब लहरावेलू।
कारी बदरिया के खूब लजवावेलू।
अँखियाँ के बढ़ेला पियास गोरिया रे।
चमके लाल-लाल टिकुली तोहार गोरिया रे।
तिरछी नज़रिया से जब मुसकइलू।
जियरा पर हमरे छूरी चलईलू।
बोलेलू हँस के जाई कुल भूलाई गोरिया रे।
चमके लाल-लाल टिकुली तोहार गोरिया रे।
स्नेहलता पाण्डेय ‘स्नेह’