कल तक जो था लुप्त आज ,
सितारा बन चमकता आकाश में
जिसके पास आने पे दूर हो जाते थे
आज अपलक देखते,तरसते हैं, जाने को पास में!
सोचने पर मजबूर हुए कल का अंधेरा, आज प्रकाश है फैला रहा,
ऐसा कैसे संभव हुआ, वो जग में नाम कमा रहा!
कोशिश कर मैं आगे बढ़ा जा पूछने को उसके पास
ऐसा क्या किया तूने जो तुझमें इतना है प्रकाश!!
सितारे ने मुस्कान भरी, बोला था एक बात
सबके दिन बदल जाते है ,और बदलती रात !
नाउम्मीदियों को कर दर किनार ,सपने संजोए करता था
सपनो को पूरा करने में दिन रात न सोया करता था!!
उम्मीद का दामन पकड़े पकड़े पांव की धूल से तिलक मैं बन गया
तिलक बनते ही मैं कितनो के आंखो में था चुभ गया !
बड़े लोगों के आंखो में खटकना बड़ी बात है
समझ लो उसी दिन से ही जीवन में आती काली रात है!!
आज मैं सितारा बन आसमान में चमकता हूं
अपने जैसे कइयों को तिल तिल कर मरते देखता हूं!
लहरों का वेग जितना भी तीव्र हो पांव जमाकर रखना तुम
अपने श्रम के बल पर एक दिन चमकता सितारा बनना तुम!!
पूनम श्रीवास्तव