श्री सीता राम एवं श्रीमती जगरानी की संतान।
धन्य हैं मात पिता व धन्य बदरका भाबरा ग्राम।
23जुलाई 1906 को जन्में हैं शहीद चंद्रशेखर।
लगे न गोरों के हाथ खुद जान देदिए चंद्रशेखर।
भारत माता का लाल बहादुर चंद्रशेखर आजाद।
चंद्रशेखर थे आजाद सदा अंत में भी वे आजाद।
बलिदान जवानी देश हित में गोरों से लड़े लड़ाई।
वह स्वतंत्रता सेनानी थे आजादी की लड़े लड़ाई। 
वीरों के इंकलाब नारों से गुंजित हुई भारत भूमि।
गोरों का कलेजा कांपा देखा  वीरों से भरी भूमि।
अंग्रेजों को ललकारते हरदम चंद्रशेखर आजाद।
भारत माता की जय जय करते रहते थे आजाद।
क्रांतिकारियों के हृदय में धधक रही थी ज्वाला।
पढ़ें सामने इनके तो कोई अंग्रेज न बचने वाला।
आजादी के लिए छिड़ा था जो स्वतंत्रता संग्राम।
लक्ष्य ब्रिटिशों से मुक्ति पाना भारत न रहे गुलाम।
जहाँ देश प्रेमियों देश भक्तों से भरी हुई थी टोली।
वहाँ कुछ मीर जयचंदों गद्दारों की भी तो 1टोली।
अंग्रेजों के मुखबिर देश के गद्दार की सूचना पाई।
खुश हुए नाट बावर सेना आजाद को घेरने आई।
चंद्रशेखर ने जब अंग्रेजों से स्वयं को घिरा पाया।
पिस्तौल निकाली आजाद ने स्वयं को है उड़ाया।
जन्में जो आजाद धरा पर मरा भी वह आजाद।
मौत को गले लगा सिर में मारे गोली हैं आजाद।
अदम्य साहस और शौर्य की जिंदा एक मशाल।
27फरवरी1931को कंपनी बाग हुआ है लाल।
 
नाट बावर एवं अंग्रेजों की नींद उड़ाये आजाद।
कइयों ने कुर्बानी दी आजादी को जैसे आजाद।
माँ भारती का लाल था ऐसा चंद्रशेखर आजाद।
रक्त में जिसके बहता था सपना भारत आजाद।
वन्दे मातरम वन्दे मातरम वन्दे मातरम आजाद।
शत शत नमन कोटि-2 वंदन चंद्रशेखर आजाद।
रचयिता :
डॉ. विनय कुमार श्रीवास्तव
वरिष्ठ प्रवक्ता-पीबी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.
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