प्यारी होती हैं बेटियां
दुलारी होती हैं बेटियां
तो फिर क्यूं आज भी
हक अपना खोती हैं बेटियां…?
इन रिवाजों ने बनाया है बोझ उन्हें
तभी तो पल पल मरती हैं बेटियां
प्यारी होती हैं बेटियां
दुलारी होती हैं बेटियां
तो फिर क्यूं आज भी
हक अपना खोती हैं बेटियां…?
बेटा होने पर यहां
जश्न मनाया जाता है
क्यूं बेटी के होने पर
अफसोस जताया जाता है
क्या बिन बेटी के
बेटे को लाया जा सकता है…?
पता सबको है कि
जरूरी होती हैं बेटियां
मगर फिर भी हक अपना
खोती हैं बेटियां
प्यारी होती हैं बेटियां
दुलारी होती हैं बेटियां
तो फिर क्यूं आज भी
हक अपना खोती हैं बेटियां…?
बेटा है घर का चिराग
तो रौशनी होती हैं बेटियां
बेटा संभालता है अपना घर
तो पराए घर को भी अपना
बना लेती हैं बेटियां
बेटा है अपने घर की शान
मगर दो घरों की आन होती हैं बेटियां
तो फिर क्यूं आज भी
हक अपना खोती हैं बेटियां…?
बेटियों से ही घर में रौनक है
बेटियों से ही जिंदगी रौशन है
तो फिर क्यूं आज भी
हक अपना खोती है बेटियां…?
प्यारी होती हैं बेटियां
दुलारी होती हैं बेटियां
तो फिर क्यूं आज भी
हक अपना खोती हैं बेटियां…?
कविता गौतम…✍️