ओ! माँ के राज दुलारे लाल
माँ भारती की रक्षा को हो जा तैयार….
अपने कुल के कुलदीपक तुम
वीर सपूत इस देश के बन के
जान अपनी हथेली पर रख के
दुश्मन के हर वार को कर नाकाम
ओ!सीमाओं पर डटकर खड़े प्रहरी महान
माँ भारती की रक्षा को हो जा तैयार……
घर का चिराग जो होता है
कंधे पे उसके भार भी होता है 
दुख दर्द परिवार के निवारण करने को
शनै: शनै: उसको जलना ही होता है
ओ! वीर तेरी वीरता से प्रकाशित हो देश महान
माँ भारती की रक्षा को हो जा तैयार….
मज़बूत हाथों में तेरे ही सदा 
देश की सुरक्षा की ये डोर रहे
सरहद पर जब तू खड़ा रहे
देशवासियों को एक सुकून रहे
ओ! सैनिक तेरी बाहों में सुरक्षित ये धरा महान
माँ भारती की रक्षा को हो जा तैयार….
ओ! माँ के राज दुलारे लाल
माँ भारती की रक्षा को हो जा तैयार….
स्वरचित
शैली भागवत “आस”🖍️
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