जिसमें मानव रहता है
मानवता को साथ लिए।,,,,,
माता पिता का साया हो ,
बसती जिसमे  काया हो।
जोसुख दुःख में  हंसता हो,
एक दूजे में बसता हो।
अपनो को जो लेसाथ चले,
गम सभी के बांट ले।जिसमे,,,,,,,
रोज रोज के  झगड़े टंटे,
जहाँ न होते प्रेम से।
मा बहन बेटी और नारी ,
रहती है सब चेन से। जिसमे,,,,,,
 बच्चों की किलकारी गूंजे,
दादी नानी को हम पूजे।
करते सदा सम्मान सभी का,
रखते दिल से ध्यान सभी का जिसमे,,,,
घर अपना अपना ही होता,
रहने से ही काम नही होता।
जुड़ता है जो स्नेह प्रेम से,
दिलो में वास जहाँ होता जिसमें,,,,
संध्या पंवार
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