पूरे ब्रह्मांड में हैं नौ नक्षत्र नौ ग्रह
नौ रस नौ ही भक्ति है!
नौ की महिमा का क्या गुण गाऊं
नौ की अद्भुत शक्ति है !!
सूर्य ,चंद्रमा, बुध, गुरु शुक्र शनि राहु और केतु ये नौ ग्रह होते है!
कहते है अपने जीवन की नैया के
यही खेवैया होते हैं!!
मेरा मानना है कि ये सब,
कर्मो पर आधारित है !
जो बोओगे सो काटोगे
ये तो सर्वविदित ही है!!
ये सारे भ्रम हमने
खुद ही पाल रखा है !
कर्म श्रम करते नही ,
ग्रहों को जिम्मेदार ठहराया हैं !!
पंडित कहते मंगल भारी
राहु की दशा है चल रही
शनि साढ़ेसाती है इसलिए
बात नही है बन रही !!
आज के इस तकनीक युग में भी
लोग भ्रमित हैं हो रहे !
इसके चक्कर में पड़कर वो
चकव्यूह में फंस रहे !!
मंगली लड़की है तो
लड़का मंगला होना चाहिए
अन्यथा व्याह फलित ना होगा
पूजा करवाना चाहिए !!
आप बताओ गर लड़की लड़के दोनो मर्जी से शादी करते व खुशी से जीवन जीते है!
बाद में पता चले मंगला के संग मंगली नही तो फिर क्या वो करते हैं!!
मेरा मानना है ग्रह नक्षत्र हमारे
अपने कर्मो से बदलता रहता है
जैसा चाहते हम वैसा करते
ग्रह भी वैसा चलता रहता है!!
पूनम श्रीवास्तव
नवी मुम्बई
महाराष्ट्र