गोधुली बेला,
बहुत ही मनमोहक दृश्य होता है ,
चारों ओर चहल पहल,
बच्चे खेलते हुए, चिड़िया वापस घर को जाते हुए,
पशुओ का झुंड जाते हुए, कई लोग मिलकर बातें करते हुए,
बहुत ही सुंदर होती है गोधुली बेला,
सूर्य भी अपनी किरणों को समेट कर ,
अपनी लालीमा को चारों ओर फैला कर,
प्यारी सी मुस्कान के साथ उस बेला को गोधुली कर,
उस चांद को आने का कह कर,
अपनी रोशनी को छिपा कर,
चले जाते हैं अपने घर की ओर,
तपती धुप के बाद, आते हैं शीतल झोके,
हिलते है प्रफुल्लित पात,
पूरा होता है विरह काल, आती है मिलन की रात,
नगाड़े बजते है देवालय मे, घनटिंयो की टनटनाहट से
मंगल गीतों के गान से, शंखनाद से
गुजं उठती है गोधुली बेला ।।