“ग़ौरी तपस्या”
“महादेव का व्यवहार देख गौरी बहुत डर गयी ।
अब शिव शिव रटते हुए उनके दिन व्यतीत होने लगे।।
इसी बीच नारद मुनि ने गौरी से कहा। बिना तपस्या महादेव का दर्शन कठिन है।
उन्हें प्राप्त करने का एकमात्र उपाय है तपस्या।
सखियों ने आकर ग़ौरी की मां मैना से इस बारे में बताया।
मैना ने ग़ौरी से कहा। आप राजकुमारी हो, सुकुमार शरीर है, वन मैं तपस्या करने के दौरान आपको बहुत कष्ट होगा। इस हेतु आप घर में रहकर ही तपस्या कीजिए।
परंतु ग़ौरी को यह बात सही नहीं लगी।
ग़ौरी की दशा से चिंतित हो माता मैना ने उन्हें जंगल में जा तपस्या करने की आज्ञा दे दी।।
ग़ौरी
माता-पिता को प्रणाम कर गौरी शिखर नामक चोटी पर जा पहुंची। फल फूल से परिपूर्ण मनोरम स्थान को देख, वहां जाकर तपस्या बेदी बना, वहां बैठ तपस्या करने लगी।
गर्मी में अपने चारों तरफ धुनि लगाकर सूरज की तरफ मुख करके तपस्या करती थी।
बारिश में बैठकर और सर्दी के मौसम में,
जल में खड़ी हो कर तपस्या करती थी।
ऋषि मुनि जिस प्रकार तपस्या नहीं कर पाए,
सुकुमारी कन्या को तपस्या करते देख ऋषि मुनि उनके दर्शन को आने लगे। सब उनकी प्रशंसा करने लगे।
उस आश्रम में अद्भुत दृश्य था। गाय और शेर एक ही घाट पर पानी पीते थे।
यह सब ग़ौरी की तपस्या के प्रभाव से था। गौरी की तपस्या के प्रताप से, कैलाश और गौरी शिखर में कोई अंतर नहीं बचा।
ग़ौरी से प्रभावित हो, ऋषि मुनि नारद के संग महादेव के पास गए । उनसे विनम्र निवेदन करने लगे।
उन्होंने कहा। जिस प्रकार की तपस्या ऋषि मुनि भी नहीं कर पाए ,उस प्रकार की तपस्या ग़ौरी ने की है। आप प्रसन्न होकर उन्हें दर्शन दीजिए।
महादेव ने कहा। आप लोग जाइए आप लोगों का काम हो जाएगा।
फिर महादेव बुड्ढे भिखारी का रूप धर ग़ौरी के तपस्या के स्थान पर पहुंचे।
बाबाजी के रूप में देखकर, ग़ौरी ने उनका बहुत ही अच्छी तरह से आदर सहित स्वागत सत्कार किया।
प्रसन्न होकर बाबा जी ने उनसे पूछा, यहां किसी प्रकार का विघ्न बाधा तो नहीं है।
आप किस प्रयोजन से इतनी कठोर तपस्या कर रही हैं।
ग़ौरी के इशारे से उनकी सखियों ने बूढ़े भिखारी से कहा। ग़ौरी महादेव से विवाह करने की कामना से इस कठिन तपस्या को कर रही हैं।
जिस दिन से इन्होंने तपस्या आरंभ की उसी दिन फल और फूल के वृक्ष भी लगाए थे । फलों के वृक्षों में फल आने लगे। परन्तु इनकी तपस्या के फल के अंकुर भी नहीं आये।
बूढ़े भिखारी ने ग़ौरी से पूछा । क्या इन्होंने सत्य कहा उन्होंने कहा हां यह बिल्कुल सत्य कह रही हैं।
बूढ़े बाबा ने निराशा प्रकट करते हुए विदा हो उनसे कहा । हमें लगा आप किसी बड़ी कामना से इस कठिन व्रत की साधना कर रही हैं।
ग़ौरी उन्हें रोकने का प्रयास करते हुए कहती हैं।
हमसे क्या अपराध हो गया जो आप नाराज़ हो कर जा रहे।
बूढ़े भिखारी ने कहा। आपने हमारा कोई अपराध नहीं किया।
आप अपना बुरा कर रही हैं।
पहले आपकी तपस्या से हमें आपके ऊपर श्रद्धा थी। परन्तु अब आपकी अभीष्ट बुद्धि से घृणा है। आप स्वर्ण को बेच माटी खरीदना चाहती हैं। हाथी की सवारी छोड़कर बूढ़े बैल की सवारी चाहती हैं। सूर्य के प्रकाश को छोड़कर भगजोगनी को जो चाह रही हैं।
महल को त्यागकर मरघट में बैठे हुए, शमशान वासी को चाहती हैं । कहां सर्व संपन्न इंद्रादि देवता, और कहां,
भिखारी महादेव। आप एक सुकुमारी परम सुंदरी हैं।
चंद्रमा सा मुख, कमल सी दो आंखें। माथे में फूलों का गजरा, बदन पर सोने के आभूषण।आप मंगलमयी मां और हिमालय राजा की पुत्री हैं।
महादेव का दाढ़ी मूंछ वाला मुख, पूरे शरीर पर राख और सर्प लिपटे, गले में मुंडों की माला।
महादेव किनकी संतान हैं यह कोई नहीं जानता।धनवान इतने हैं कि शरीर पर वस्त्र का एक टुकड़ा भी नहीं।
कन्या के हेतु वर में जितने भी गुण ढूंढते हैं, उनमें से एक भी गुण उनमें नहीं।
अगर उनको आपकी थोड़ी सी भी फिक्र होती तो, कामदेव को नहीं जलाते।
वो आप के योग्य वर कदापि नहीं हैं।
बूढ़े भिखारी के मुख से इस प्रकार के वचन सुनकर, ग़ौरी ने कहा। महादेव निर्गुण ब्रह्म हैं। वह अपनी इच्छा के अनुसार शगुन होते हैं। ब्रह्मा के रूप में संसार की रचना उन्होंने की है।
सबसे आदि पुरुष वही हैं। इसलिए उनके पिता होने का सामर्थ्य किसमें है।
सर्व विद्या और शास्त्र वही हैं। उनके श्वास के द्वारा वेदों का प्रादुर्भाव हुआ तो वह मूर्ख कैसे हुए?
कितने ही निर्धन, धन की इच्छा से उनकी पूजा करते हैं तो, धनवान हो जाते हैं। फिर वह गरीब कैसे हुए?
सुंदर से सुंदर और कुरूप से कुरूप हर रूप में वही हैं। फिर वह अमंगलकारी कैसे हो सकते हैं?
आप एक पापी पुरुष हो। इसलिए उनका रहस्य कैसे जान पाओगे।
मैंने आप जैसे पापी पुरुष का आदर सत्कार किया। इसलिए मुझे प्रायश्चित करना पड़ेगा।आप तुरन्त यहां से जाइए।
बूढ़े भिखारी ने फिर से कुछ बोलने का प्रयत्न किया। ग़ौरी ने अपनी सखि से कहा, यह फिर महादेव की निंदा करेंगे। इसलिए उन्हें तत्काल जाने के लिए कहिए।
उनकी निंदा करने या फिर सुनने से हम पाप के भागीदार होंगे । इतना कहकर चली गयी।
महादेव अपने रूप में आकर ग़ौरी से कहते हैं। हम आपकी तपस्या से प्रसन्न हैं। आप मांगो, आपको क्या चाहिए।
ग़ौरी लज्जा बस प्रसन्नता से चुप हो गयी।
महादेव ने कहा। कैलाश चलते हैं वहीं चलकर विवाह करेंगे।
ग़ौरी कुछ नहीं कह पायी, अपनी सखियों से कहलवाया।
आप अगर सच में प्रसन्न हैं तो, हिमालय ऋषि के पास जाकर, आप अपने और ग़ौरी के विवाह का प्रस्ताव रखिए ।उनकी आज्ञा से ही विवाह संपन्न हो तो, उन्हें प्रसन्नता होगी । उनके आशीर्वाद से गृहस्थाश्रम सफल रहेगा। गौरी की बात मान महादेव अंतर्ध्यान हो गए ।ग़ौरी वहां से अपनी सखियों सहित पिता के घर आ गयी।
क्रमशः
अम्बिका झा ✍️

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