फूल किसका है पात किसका है ?
रात किसकी है प्रात किसका है?
जिसकी छाया में उम्र कटती है
मेरे सर पर वो हाथ किसका है?
होके तन्हा भी जीना पड़ता है
उम्र भर मिलता साथ किसका है?
जिसने बख्शा है छीन लेगा वो
होता तन का लिबास किसका है?
मेरी आंखों में तेरी आंखों में
जो भी रहता प्रकाश किसका है?
वक्त के साथ उड़ गई रौनक
चांद सा चमके गात किसका है?
मुफलिसों का कोइ “किंजल्क” नहीं
यहां होता अनाथ किसका है?
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–किञ्जल्क त्रिपाठी “किञ्जल्क”
आजमगढ़ (उ.प्र)