चलो समझौता गमों से कर लो।
कहीं खुशी है तो कहीं पे गम है।।
किसी की आँखें खुशी से नम हैं।
किसी की आँखें दुःख से नम हैं।।
यही तो जीवन का फलसफा है।
खुशी एवं दुःख से भरा जनम है।।
अजीब कश्मकश है जिंदगी में।
किसी को तन्हाई का ये गम है।।
अनमोल होता सदा यह जीवन।
हरेक सांस ये हीरे से न कम है।।
किसी की जिल्लत ये जिंदगी है।
किसी को जिल्लत का ये गम है।।
खता किसी की सजा किसी को।
किसी के ऊपर ये जो सितम है।।
बनाई जिसने है यह प्यारी सृष्टि।
दिया जो उसने कहाँ वो कम है।।
समझ समझ की होती यह बातें।
बड़ी कीमती ये जिंदगी सनम है।।
सुख और दुःख तो आते हैं जाते।
किस बात का फिर तुम्हें ये गम है।।
संसार में ये आना जाना है होता।
कहीं इश्क व बेवफाई का गम है।।
मजबूरियां भी कुछ सामने होती।
वर्ना कहाँ किसी से कोई कम है।।
कभी कभी समझौता है जरूरी।
यही तो जीवन का एक मरम है।।
कौन है ऐसा भला हुआ जहां में।
जिसमें न कोई कभी भी गम है।।
जिएं तो शान से मरें तो शान से।
ये सूत्र किसी से कहाँ ये कम है।।
रचयिता :
डॉ. विनय कुमार श्रीवास्तव
वरिष्ठ प्रवक्ता-पीबी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.
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