गठबंधन होता अगर एहसास से एहसासों का, 
तो जज्बात एक दूसरे का आधार बन जाता, 
कुमकुम की बिंदिया, पांव में महावर, 
हाथों में चूड़ी हो उस बंधन का, 
गठबंधन होता अगर खामोशी से खामोशी का, 
तो नजरों का नजरों से तलबगार  बन जाता, 
     सज सवर के डालूगी घुघट, 
काजल के ओट से निहार के तुझे, खुद से ही, 
       बांध दूगी  बंधन से, 
गठबंधन होता अगर धडकनों का धड़कन से, 
तो दिलों का दिल  से आधार बन जाता, 
भर कर मेरे मांग मे सिंदूर तुम मेरे, 
कितना पवित्र ये बंधन हो जाता, 
आता जो कभी दर्द का बाढ़ जिंदगी मे, 
तो हमारा ये गठबंधन  सुकून की पतवार बन जाता  l
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