कि कहने को महज़ हैं प्यार की बातें
तुम्हें लगती हैं बस बेकार की बातें
हमारे साथ सबका साथ दोगे अब
तुम्हीं करने लगे सरकार की बातें
यहाँ हमने सँभाला होश है जबसे
तभी से हो रहीं रफ़्तार की बातें
भरोसा इस ज़माने में करें किस पर
टके में बिक रहीं अख़बार की बातें
तुम्हें मालूम अब हमने यूँ ही दिल से
लगाना छोड़ दी दिलदार की बातें
मियाँ तुम इस तरह सुन तो रहे हो पर
डुबा देंगी तुम्हें विस्तार की बातें
– विवेक विस्तार