आप जब भी कोई फैसला कीजिए
आईने से पहले वफा कीजिए
हक जमाने में कोई भी देता नहीं
हक जिंदगी का अदा कीजिए
आप तब तक भले हैं जब तक हैं चुप
बोल कर कभी आजमा लीजिए
उंगलियां भी थप्पड़ बनकर लगेगी
भ्रम को हकीकत से मिला दीजिए
दुश्मन जमाने का बनना है तय
बस सोए हुए को जगा दीजिए
स्वरचित :
…. पिंकी मिश्रा
भागलपुर बिहार ।