खून बन गया पानी देखो,लोग करते मनमानी देखो!
ईमानदारी रह जाती पीछे हरदम,दौड लगाती बेईमानी देखो!
सच को सच साबित करना है मुश्किल, झूठी दुनिया की ये कहानी देखो!
लाज शर्म सब भूले बैठे,आंखो का मर गया पानी देखो!
बन्दर बांट मे जीवन कट गया,सुलझी नही कहानी देखो!
दो और दो चार का मेल ना जाने,ज्ञान बांट रहे अज्ञानी देखो!
नजरे मिला ना सके झूठ सच से,सच्चाई की ये निशानी देखो!
रौनके रहती थी कभी जिस महफिल मे,उसमे फैली अब वीरानी देखो!
लालच बढ गया हर इंसा का,मेरा मेरा संभालते गया बुढापा, बिखेरती चली जवानी देखो!
खून बन गया पानी देखो, लोग करते मनमानी देखो!
                                               श्वेता अरोड़ा
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