सबको कहते सुना कलियुग है यहाँ कलयुग ,
यहाँ मिलती न सिया अब न मिलते हैं राम जी।
फिर औरत के लिए भी तो कलियुग है ,
जब तुम मोहन नही बन सकते ,
मीरा का जहर का प्याला अमृत नही कर सकते,
बनके कृष्ण खुद से पहले राधा का नाम नही लिख सकते
उसके मान सम्मान की रक्षा नही कर सकते,
फिर क्यों औरत से उम्मीद करते,
हर युग में मौन हो दे क्यों अग्निपरीक्षा,
हर बार वनवास जाए क्यों जानकी।
कृष्ण छोड़ राधा रुकमणी के हो गए,
रचायी रास सबके मन मे समोह गए,
पत्नी के न रहने पर पति नव विवाह करे,
पति अगर न रहा तो पत्नी उम्र भर अकेली रहे,
गजब प्रथा है जिसमे बड़ा अन्याय है,
स्त्री पुरुष के लिए क्यों अलग समाज है,
जब कृष्ण ने चुन ली रुकमणी,
तो राधा क्यों नही हो सकती किसी श्याम की।
मर्यादापुरुषोत्तम , सभी गुणों से बने राम थे,
या कहें गुण सारे उनके प्रतिमान थे,
राम के पद चिन्हों पर चली सिया,
सत्य था इतना रावण लंका में भी न छू सका,
पवित्र इतनी अग्नि से बाहर हंसकर आ गयी,
तुम आज अगर बनो राम , रक्षा करो सीता के मान की,
तो वादा है हर स्त्री की तरफ से मेरा,
चल पड़ेगी पीछे संकट विकट हो चाहें ,
एक पल भी न सोचेंगे कर लेगी पीले वस्त्र धारण,
हँसके चल देगी छोड़ ठाठ सारे राजसी।
आप सभी को रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं,
किसी और में नही खुद मे राम ढुढिए💐💐🙏🙏
अन्जू दीक्षित,
उत्तर प्रदेश।