सुना है कि खामोशी की आवाज दूर तक सुनाई देती है
खामोशी जब बोलती है तो फिर सिर चढ़कर बोलती है
सौ बक बक से अच्छी है एक अदद खामोशी
तकरार ज्यादा बढ़ने को रोक देती है खामोशी
खामोश रहने का मतलब कमजोर होना नहीं है
मौन बड़ा सभ्य है, उसकी ताकत शब्दों से कम नहीं है
पर हर जगह खामोश रहना भी ठीक नहीं
अन्याय अत्याचार को सहना भी ठीक नहीं
समय पर भीष्म बोल पड़ते तो महाभारत नहीं होता
अगर पूरा देश बोल पड़ता तो पंडितों का नरसंहार नहीं होता
आज भी बंगाल पर आपकी खामोशी रंग लायेगी
आपकी खामोशी बंगाल को एक दिन काश्मीर बनायेगी
केरल में 32000 महिलाएं कहाँ गायब कर दी गईं
सुना है कि वे ISIS को देने के लिए अरब भेज दी गई
शास्त्रों में लिखा है कि मौन तो वीरों का आभूषण है
मगर समय पर नहीं बोलना किसी के जीवन पर ग्रहण है
आपकी खामोशी को आपकी कमजोरी ना समझा जाये
कौमें वही जिंदा रहती हैं जो समय आने पर विरोध जताये
खामोशी एक गहना है जो व्यक्तित्व में निखार लाती है
मगर इससे चोर उचक्कों की कुदृष्टि भी हम पे जाती है
खामोशी को पहनो, ओढो या उसका कुछ भी करो
मगर अपने स्वाभिमान को गिरवी कभी भी ना धरो
हरिशंकर गोयल “हरि”