क्यों करते हो दोस्ती तुम, किसी मुफलिस से।
मिलेगा भला क्या तुमको, किसी मुफलिस से।।
क्यों करते हो दोस्ती—————-।।
इनका रहना और बोलना, क्या तुम्हारे काबिल है।
नहीं बढ़ेगा तुम्हारा कद कभी, किसी मुफलिस से।।
क्यों करते हो दोस्ती—————-।।
भर लेते हैं पेट ये तो, हो जगह चाहे मलिन, दूषित।
नहीं मिलेगी तुमको शुद्ध हवा, किसी मुफलिस से।।
क्यों करते हो दोस्ती—————-।।
रोज होता है हंगामा- झगड़ा, इनकी बस्ती-घरों में।
नहीं मिल पायेगी तुमको जिंदगी, किसी मुफलिस से।।
क्यों करते हो दोस्ती—————-।।
रह जायेंगे अधूरे तुम्हारे, ख्वाब-मंजिल-अरमान।
नहीं हो पावोगे आबाद कभी तुम,किसी मुफलिस से।।
क्यों करते हो दोस्ती—————–।।
(व्यंग्यात्मक रचना)
साहित्यकार एवं शिक्षक-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला-बारां(राजस्थान)
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