क्यों तेरी आंखे भावशून्य हैं
क्यों लबो पर ये खामोशी छाई है
आंसूओं से लिख भेजी तहरीर
क्यों तेरे दिल तक नहीं पहुंच पाई हैं
दस्तक दे रही दिल के दरवाजे पर
क्यों तुमको नहीं सुनाई दे रही हैं
क्यों इतना इम्तहान ले रही जिंदगी
दर कदम दर फासला बढ़ा रही हैं
करू कोशिश जितनी पास आने की
तेरी बेरुखी तुझे मुझसे दूर ले जा रही हैं
नेहा धामा ” विजेता ” बागपत , उत्तर प्रदेश