होकर रुखसत सभी कल को, चले जायेंगे अपने शहर।
क्या होगा हाल उस दिल का,जो रहता है इस शहर।।
होकर रुखसत सभी कल——————।।
होगी कैसी वह तस्वीर, जिसको हमने किया मकबूल।
जलेगा वह चिराग कब तक, चमकता रहा जो इस शहर।।
होकर रुखसत सभी कल—————-।।
पूछता है वह मुझसे, रहूंगा मैं उसके बिना कैसे।
तलाशेगा कहाँ दुश्मन मुझसा, कल को वह अपने शहर।।
होकर रुखसत सभी कल——————।।
पुकारेगा अब उसको कौन,भरी महफ़िल में कल को।
रखेगा कौन उसका चमन,महका हुआ उसके शहर ।।
होकर रुखसत सभी कल—————-।।
बहुत करते रहे मनुहार हम, रूठने पर उसके बार-बार।
अब उसको कौन मनायेगा, उसके रोने पर इस शहर।।
होकर रुखसत सभी कल——————।।
सुनेंगे किससे अब कल को,गजल यहाँ मोहब्बत की।
होगा हम सा कौन वफ़ा, कल को उससे इस शहर।।
होकर रुखसत सभी कल——————।।
साहित्यकार एवं शिक्षक-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)
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