मुझको मालूम नहीं था बिल्कुल भी,
मोहब्बत किस चिड़िया का नाम है,
और किस तरह जुड़ते हैं,
दो अजनबी दिल आपस में,
अंजान और नादान था मैं।
हुई जब उससे पहली मुलाकात,
देखकर उसकी खामोशी को,
चांदनी सी उसकी सुंदरता को,
बेमिसाल उसकी खूबसूरती को,
होता गया उसके नजदीक मैं,
और जुड़ते गए दिल के तार उससे।
लेकिन भूलता गया ऐसे में मैं,
अपने अजीज दोस्तों को,
अपने परिवार के रिश्तों को,
अपनों की प्रार्थनाओं को,
अपने माता-पिता के प्यार को,
उससे नजदीकी और प्यार में।
हमेशा चंचल रहने लगा,
मेरा दिल उससे मिलने को,
मेरे कदम उसके घर जाने को,
उससे बातें करने को,
उसके निमंत्रण के बिना,
बिना मान- सम्मान के मैं।
लेकिन मालूम नहीं था,
वह करेगा मुझको बदनाम,
मुझको बर्बाद जीवन में,
वह देगा मुझको ऐसा दर्द,
मेरे प्यार के बदले तोहफे में,
क्या था, क्या हो गया।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)
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