मां का मान,
पिता का अभिमान हूं मैं।
भाई के लिए लड़ाकू विमान,
अपनी बहनों की जान हूं मैं।
दुखों की बंद पोटली,
मुस्कुराहटों की दुकान हूं मैं।
किचन की शान और 
अनेकों गुणों की खान हूं मैं।
अस्तित्व है मुझसे सबका
हर रिश्ते की पहचान हूं मैं।
हां एक लड़की हूं,
मगर तुम्हारी तरह ही एक इंसान हूं मैं।
मत डालो बुरी नजर मुझ पर
अपने परिवार का सम्मान हूं मैं।
तुम जिस नजर से देखते हो मुझे…
बस एक नजर में ही कर लेती पहचान हूं मैं।
क्या लगता है कुछ समझती नहीं मैं…गलत
तुम्हारे इरादों से क्या अंजान हूं मैं?
सिर्फ अपनी जरूरतें पूरी करना चाहते हो मुझसे…
क्या तुम्हारे लिए कोई सामान हूं मैं?
लड़की हो लड़की की तरह रहो,
कोई कुछ भी कहे बस चुपचाप सहो।
लड़की जात हो…ज्यादा दांत मत दिखाया करो,
सुनो! शाम होने से पहले घर आ जाया करो।
तुम्हें किसी की क्या जरूरत 
इसलिए दोस्त मत बनाया करो,
कोई नजर उठाकर देखे तुम्हें तो 
तुरंत अपनी पलकें झुकाया करो।
दूसरों को देखकर ऐसे-वैसे कपड़े कभी मत पहनना,
और हां, बड़ों के बीच तो तुम हमेशा खामोश ही रहना।
पढ़-लिखकर तुम्हें कौन-सा कलेक्टर बन जाना है,
ससुराल जाकर तो बस वही चूल्हा-चौक ही संभालना है।
अगर सारा रुपया पैसा तुम्हारी पढ़ाई पर लगा देंगे…
तो तुम्हारे ससुराल वालों को हम दहेज में क्या देंगे?
लड़का है, कुछ भी कर सकता है…
लेकिन लड़की का प्रेम करना अच्छा नहीं होता,
लड़की है जनाब! किसी एक की होकर कैसे रहेगी?
इन आजकल की लड़कियों का प्यार सच्चा नहीं होता।
उस लड़के से बात करते हुए हंस रही थी वो…
जरूर उसका कोई यार होगा,
अरे उसके दोस्त तो उसे मिलने उसके घर भी आते हैं
पक्का एक दिन इसकी वजह से ही शर्मिंदा इसका परिवार होगा।
ऐसी बहुत सी बेहूदा बातें सुन सुनकर हैरान हूं मैं,
कैसे समझाऊं इस सबसे कितनी परेशान हूं मैं?
क्यों हमेशा अपनी इच्छाओं का गला घोंटने पर मजबूर
कर दिया जाता है मुझे…
आखिर क्यों नहीं समझते? 
तुम्हारी तरह ही एक इंसान हूं मैं।
तन्हाई में रोती हूं और महफिल में मुस्कुराती हूं मैं…
किस बात का गम है मुझे, यह बात सबसे छुपाती हूं मैं।
सहनशीलता स्वभाव है मेरा,
मगर दर्द तो मुझे भी होता है न…
जब दर्द हद से ज्यादा हो दिल में, 
तो अक्सर खामोश हो जाती हूं मैं।।
नारी के अस्तित्व पर तो मैं एक किताब लिख दूं
जिंदगी क्या है उसकी, बस एक टूटा हुआ ख्वाब लिख दूं।
जो सिर्फ दूसरों के लिए ही जीती है हमेशा….
यह भी कम होगा अगर मैं स्त्री को बिन कांटों का गुलाब लिख दूं।।
~ रचना राठौर ✍️
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