न तेरे बिन मैं जी सकती।
न तेरे संग मैं चल सकती।
न दूरी तुमसे सही जाति
न पास अपने बुला सकती।
कैसे कहूं कि मेरा ख्याल कैसा है।
न दिल की बातें बता पाती
न चेहरे पर शिकन लाती।
मुस्काती हूं मैं हर पल लेकिन
न हालात अपनी समझा पाती।
कैसे कहूं कि मेरा मिजाज कैसा है।
न तुझको कभी भुला पाती।
न ख्वाबों में भी बुला पाती।
डर है कि कहीं तुम्हें खो न दूं।
न दिल में अपने छूपा पाती।।
कैसे कहूं कि मेरा अंदाजा कैसा है।
न नैनों में अपने बसा पाती।
न अश्कों से बहा पाती।
नाम हृदय पर गुदवाया है।
न नाम से तुम्हें बुला पाती।।
कैसे कहूं कि मेरा सवाल कैसा है।
न जुबां पर अपने ला पाती
न जज्बात अपने जता पाती।
मुझे डर है तेरी रुसवाई का।
न पूछा कभी तुमसे न अपनी बता पाती।”
अम्बिका झा ✍️