हर इंसान खुद को
सच्चा बताता है यहां,
एतबार कर लें 
कैसे हम किसी का 
नुमाइशों के इस दौर में
कि झूठा आदमी भी 
सच की सी मासूमियत ओढ़कर
आता है यहां।
हर इंसान खुद को
बेगुनाह बताता है यहां,
एतबार कर लें
कैसे हम किसी का
नफरतों के इस दौर में
कि हत्यारा भी
शांति और भाईचारे का
मसीहा कहलाता है यहां।
हर इंसान खुद को
पीड़ित बताता है यहां,
एतबार कर लें
कैसे हम किसी का
विज्ञापनों के इस दौर में
कि तेंदुआ भी
अपने शिकार पर झपटने से 
पहले तक खुद को 
बिल्ली जैसा दिखाता है यहां।
                    जितेन्द्र ‘कबीर’
                    
यह कविता सर्वथा मौलिक अप्रकाशित एवं स्वरचित है।
साहित्यिक नाम – जितेन्द्र ‘कबीर’
संप्रति – अध्यापक
पता – जितेन्द्र कुमार गांव नगोड़ी डाक घर साच तहसील व जिला चम्बा हिमाचल प्रदेश
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