“बेटी हैं हम आपकी,हम नहीं भुल पाएंगे
दूरी मीलों की हो भले ही ना हम दिल से दूर जाएंगे।
सींचा है आपने अपने रक्त से हमें।
आपके पसीने की खुशबू हमारे रोम-रोम में बसाएंगे।
माटी की गुड़िया को आपने जो संस्कार है दिया।
चाहा है दिल से अगर फिर कैसे भूल पायेंगे।
ज़िन्दगी के हर लम्हों में आप हमें याद आयेंगे… ।।
जब भी बैठेंगे अकेले में हम या आप पापा
हमारी बातें और मां की शिकायतें,
बनकर हवा का झोंका सांसों से टकराएंगे।
भुली बिसरी लम्हे आप को मेरी याद दिलाएंगे।
हर बात हमारी आप फिर याद करेंगे।
हम हवा बन आपके कानों में गुनगुनाएंगे
दूर होकर भी हम आपको भुल नहीं पाएंगे …।।
झोंका हवा का बनके हम आपको हंसाएंगे।
कैसे कह दूं आप को अलविदा पापा
दूर होकर भी हम आपसे से दूर नहीं जाएंगे।।”
                          अम्बिका झा ✍️
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