अभी तो चलना सीखा हैं
उड़ना अभी शेष हैं।
घोर तिमिर में दीप
जलाना अभी शेष हैं।
अभी तो शब्द सीखें हैं
कविता अभी शेष हैं।
अभी बूँद बन कर गिरी हूँ
नदी बनना अभी शेष हैं
अभी सुमन बन खिली हूँ
महक बनना अभी शेष हैं।
अभी तो जन्म लिया है
जीना तो अभी शेष हैं
अभी तो प्रेम हुआ है कृष्णसे
कृष्ण संग जीना शेष हैं।
गरिमा राकेश गौत्तम
कोटा राजस्थान