“न तेरी दौलत न तेरी शोहरत पर मरती हूँ।
तुम्हें देखकर तकलीफ में, तड़प उठती हूँ।।
न तुम्हें चाहती हूँ, न तेरी पूजा करती हूँ।
सुनकर तुम्हारी बुराई, मैं लड़ पड़ती हूँ।।
न खोने से डरती हूँ न पाने की आरजू रखती।
मुश्किल में सुनकर तुम्हारे पीछे दौड़ पड़ती हूँ।।
न तुमसे उम्मीद है कोई न तुमसे आस रखती हूँ।
तुम्हारी सलामती के लिए प्रभु से लड़ पड़ती हूँ।।
न दूरी मुझे भाती, न तेरा साथ चाहती हूँ।
कदम तेरी रुके तो मैं भी पीछे मुड़ पड़ती हूँ।।”
           अम्बिका झा ✍️
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