कुछ खट्टी तो कुछ मीठी सी ये यादें
तेरी मेरी मुहोब्बत की हैं यादें
देखो ना एक हुए हो गए कई साल
फिर भी मुझको महकाए तेरे प्यार की सौगातें
आज भी बस कल की ही बात लगती है
जब तुम मुझको देखने आए थे
बैठे थे घर के सभी बड़े भी साथ
और तुम चाहकर भी मुझको देख ना पाए थे।
यूँ तो करवाचौथ हर साल आता
हम दोनों के प्यार का रँग ओर भी गहराता है
लेकिन पहला करवाचौथ कुछ अलग और खास था
जब तुम लाए थे साड़ी और कोई नही पास था।
आज भी तो वो कल की ही बात लगती है
जब तुम और हम छुपकर मिला करते थे
याद है आज भी वो पल मुझे
जब तुम मेरे लिए चूड़ियाँ लिया करते थे।
क्या तुम्हें याद हैं वो हरे काँच की चूड़ियाँ
जो तुम लाए थे मेरे लिए शान से
फिर लिया था मेरा हाथों में हाथ अपने
और पहनाई थी बहुत प्यार से।
क्या तुम वो खट्टी मीठी याद है आती क्या
जब हम मिले थे शादी से दो दिन पहले
चोरी से आई थी मिलने तुमसे पिछली गली में
जिसे याद करके दिल आज भी चहके।
तुम हमें हर रात एक गीत सुनाया करते थे
और हम भी उस गीत में खो ही जाया करते थे
आज भी याद है मुझे वो पूरी पूरी रातें
जब थे तुम दूर मगर बन गए थे साँसे।
फिर वो खूबसूरत लम्हा भी आया था
थी तारीख 12 और फरवरी का तब माह था
मैं बनकर तुम्हारी दुल्हन सदा के लिए हो गई तुम्हारी
हो गई थी तुम्हारी छोड़कर दुनिया ये सारी।
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कोमल भलेश्वर