पश्चिम सभ्यता के तहत कल नव वर्ष मनाया गया और मुझे बहुत खुशी है कि जिस उद्देश्य से हम लोगों ने सनातन संस्कृति को बचाने का संकल्प लिया है उसमें सफलता के काफी नजदीक पहूंच गए हैं।
कल के नव वर्ष में 50%लोग सम्मिलित हूए, बाकी के 50%
ने तो खुलकर चैलेंज किया, मैं नहीं मानता तुम्हारे इस नव वर्ष को, यह नव वर्ष मुझे स्वीकार नहीं।
इस से यह साबित होता है।
गर इसी तरह हम लोग पूरी निष्ठा से अपना-अपना काम करते रहें, तो वह दिन दूर नहीं जब भारत का बच्चा-बच्चा यह कहेगा यह नव वर्ष हमें स्वीकार नहीं।
इसके लिए हमें अपने बच्चों को यह बताना होगा।
जिस तरह अपने दोस्तों का जन्मदिन मानाते है एक उपहार दिया पार्टी लिया और बात खत्म।
पर जब अपना जन्मदिन हो पूरे घर को सजाते हैं। परिवार में हर्षोल्लास छा जाता है।
ईश्वर की पूजा करते हैं और प्रार्थना करते हैं कि हम हर जन्मदिन अपनों के साथ ही मनाएं।
महीनों पहले से हम तैयारी करते हैं और महीनों तक याद रखते हैं। 
तो अपने बच्चों को समझाइए जितना अंतर अपने जन्मदिन और अपने दोस्तों के जन्मदिन पर है उतना ही अंतर हमारे नव वर्ष और इस नव वर्ष में है। 
जरूरी तो नहीं हर दोस्त के जन्मदिन पर पहुंचे, उपहार दें,  हर दोस्त को उसके जन्मदिन पर शुभकामनाएं भी दे। 
उसी तरह यह भी जरूरी नहीं कि  इस नव वर्ष को मनाए।
इस तरीके धीरे-धीरे हमारे बच्चे के दिमाग में यह बात प्रवेश कर जाएगी।
जिस प्रकार, अ, के बाद आ मतलब आराम, क, के बाद ख, मतलब भोजन, कर्म, के बाद भोजन, क्योंकि कार्य के बाद हमारे शरीर से एनर्जी खत्म हो जाती है, मतलब, ऊर्जा को प्राप्त करने के लिए हमें भोजन करना होता है।
ठ, से  ठोकर  म, से मुश्किल,
च, से चुनौती, फिर फ, से फल प्राप्त होता है।
इस तरह ल, से लड़ाई झ, से झगड़ा स, से संघर्ष फिर स, से सफलता प्राप्त होती है।
फिर सारे उतार चढ़ाव को पार कर सबसे लास्ट में हमें ज्ञ, से ज्ञान प्राप्त होती।
वैसे ही कल ही गर हमने संकल्प लिया है अपनी संस्कृति को बचाने के लिए तो कुछ समय तो लगेगा ही।
अचानक हाथ में पेंसिल देकर अगर हम कहेंगे कि बेटा मैंने तुम्हें कल शब्दों को लिखना सिखाया है तो आज़ प्रशासन को पत्र लिखो हमें न्याय चाहिए। तो कैसे होगा?
उसके लिए शब्दों के ज्ञान के साथ-साथ कुछ नियम और कुछ विकल्प भी सिखाने होंगे तभी वह सही तरीके से सही कार्य कर सकता है।
तो समझ लीजिए हमलोग संघर्ष तक पहुंच गए हैं और सफलता मिलने के काफी करीब भी।।”
जय श्रीकृष्ण 👏
अम्बिका झा ✍️
कांदिवली मुंबई महाराष्ट्र
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