आज फिर वही सब्जी….. मम्मी मैंने आपसे कितनी बार कहा है कि मुझे करेला बिल्कुल भी पसंद नही, फिर भी आप वही मेरे सामने ले आती हो….
जाओ मुझे नहीं खाना, नीता खाने की थाली गुस्से से अपनी मम्मी की तरफ खिसका देती है और वहां से गुस्से से अपने कमरे में चली जाती है।
कुछ समय बाद….
जब नीता अपने कमरे की खिड़की से बाहर की ओर देखती है तो उसे दिखाई देता है की एक छोटी सी बच्ची सब्जियां बेंच रही होती है और लोगों से खरीदने की अपील भी कर रही है।
नीता यह दृश्य देखकर भावुक हो जाती है और नीता की आंखों में से आंसू निकल आते है। नीता को करेले की कीमत भी आज पता चल जाती है।
आरती सिरसाट
बुरहानपुर मध्यप्रदेश