रहो भले ही कभी किसी भीड़ में,
अपनी अलग ही पहचान बनाना।
देश प्रेम ही रखना अपने दिल में,
रचनात्मक सोचना एवम बनाना।
भीड़ भी अपनी शक्ति दिखाती है,
पर बुरे काम में कभी भी न रहना।
भीड़ अगर हो राष्ट्रप्रेम प्रदर्शन की,
सच के रास्ते पर निर्भीक है रहना।
जीत उसी की सदा हुई है ये होगी,
मानवता के लिए चला जो पथ में।
राह में चाहे जितने भी काँटे आते,
एक दिन तो शूल फूल बने पथ में।
भीड़ में केवल भेड़ें हैं चलती जाएं,
उनको पता नहीं ये कहाँ है जाना।
बिना ज्ञान के लक्ष्य बिना चली वो,
गिरे कुएं में 1 तो सभी गिर जाना।
कोरोना गया नहीं फिर बढ़ रहा है,
देखें कैसे भीड़ हैं ये मास्क लगाए।
पालन करो कोविड प्रोटोकॉल का,
खुदभी भीड़ में मास्क रखें लगाए।
मास्क लगाए भीड़ देखके वायरस,
देखें कैसे भीड़ से वह भाग रहा है।
शायद वो देश छोड़ भाग जाने को,
मास्क देख लंबी दौड़ लगा रहा है।
भीड़ किसीकी हो सेना पुलिस की,
नेतृत्व तो केवल योग्यताधारी करे।
हरेक भीड़ का एक नेता भी होता,
किन्तु नेतृत्व तो वही दो धारी करे। 
कहते हैं हिन्दुस्तान भेड़िया धसान,
पर सच में कुछ बात अलग ही है।
जिसमें होता है दम खम ये अपना,
उसकी तो ये हर बात अलग ही है।
 
रचयिता :
डॉ. विनय कुमार श्रीवास्तव
वरिष्ठ प्रवक्ता-पीबी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.
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