किताब, जिसके हैं कई स्वरूप।
किताब, जिसके हैं कई प्रकार।
किताब,जिसके हैं कई रंग।
मनुष्य की जिंदगी भी है एक किताब।।
किताब, जिसमें मिलता है ढ़ेर सारा इतिहास।
किताब, जिसमें मिलता है हास, प्रसन्नता, उपहास।
किताब, जिसमें समाहित होती है ढ़ेर सारी जिंदगियां।
महशूर होने को लिखता है हर इंसान एक किताब।।
किताब, जिससे मिलता है विश्वभर का ज्ञान।
किताब, जिससे मिलता है शुकुन और एक ख्वाब।
किताब, जिससे मिलता है इंसान को एक जीवन।
बदल देती है दुनिया और इतिहास एक किताब।।
किताब, जिसमें समाहित होता है एक रहस्य।
किताब, जो दिलाती है इंसाफ और इंसान को खिताब।
किताब, जिसके बिना अधूरा है जीवन और यह दुनिया।
लेकिन, सच कहता हूँ, मैं तो हूँ एक खुली किताब।।
रचनाकार एवं लेखक-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी. आज़ाद
ग्राम- ठूँसरा, पोस्ट- गजनपुरा
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)