किताबी कीड़ा होना
सभी बच्चे खेल रहे थे।गिल्ली डंडा, कबड्डी, क्रिकेट,आदि। परंतु चेतन दूर बैठा चुपचाप देख रहा था।वह न तो किसी की जीत हार पर हंसता था और न ही कोई प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहा था।उसे बस अपनी पुस्तकें पढ़ने पढ़ने के सिवा कुछ नहीं भाता था।
चेतन किताबी कीड़ा होने से पढ़ने के सिवा कोई कार्य नहीं करता, ओर खेलों में तो उसकी रुचि थी ही नहीं।
परंतु खेल हमारे बच्चों के लिए शारीरिक व्यायाम का साधन तो है ही साथ में खेल भावना, नेतृत्व क्षमता,अपनी टीम को जिताने का जूनून,जीतने पर हर्षोल्लास का बच्चों की मन: स्थिति पर सकारात्मक प्रभाव होता है।
बच्चे इन्हीं भावनाओं के विकास से जीवन में भी टीम भावना, मेनेजमेंट, मित्रता जैसे गुणों को आत्मसात करते हैं। अतः बच्चों को किताबी कीड़ा बनने से बचाया जाना चाहिए।
राजेंद्र सिंह झाला
उ.श्रे.शि.
बाग जिला धार मप्र