सिर्फ घर की लक्ष्मी ही नहीं होती बेटियां, घर की शान और पिता की अभिमान होती है बेटियां, लेकिन क्या इन बातों को समझ पाती है बेटियां। 
बदलते समय के साथ सोच भी बदल लेती है बेटियां, जिस पिता ने उन्हें बोलना सिखाया उन्हीं के विरुद्ध खड़ी हो जाती है बेटियां, वह भी उनके लिए जिन्हें कुछ सालों से जानती हैं बेटियां।
आर्थिक स्थिति कैसी भी हो एक पिता की, ख्वाइशें उनकी यही होती है कि अपनों से अच्छे घरों में ब्याह पाएं वह अपनी बेटियां, इस प्यार को क्यों नहीं समझ पाती है बेटियां। 
जिस पिता ने बचपन से सर उठा कर चलना सिखाया, अपने काले करतुतों से उन्हीं का सर झुका देती है बेटियां, कमी क्या रह जाती है, जो यूँ दगा दे जाती है बेटियां। 
बन जाती है क्यों इतनी कमजोर जो एक लड़के के प्यार भरी बातों से पिघल जाती है बेटियां, एक लड़के के लिए मां-बाप को नहीं,  मां-बाप के लिए उन लड़कों को छोड़ पाती बेटियां
अगर कुछ करना ही चाहती हैं तो ऐसा करे बेटियां,  जिससे वह अपने पिता की बोझ नहीं सर का ताज लगने लगे बेटियां, काश कुछ ऐसा करे बेटियां। 
गौरी तिवारी 
भागलपुर बिहार
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