आदि काल से अति सुंदर नगरी काशी।
जहाँ विराजें मेरे शिव शंकर अविनाशी।
हमसब बोलें बमबम बोल रहीहै काशी।
जय जय हो बाबा विश्वनाथ अविनाशी।
गंगा घाटों काहै शहर अलौकिक काशी।
शिव नाम जपे यह नगरी साधू सन्यासी।
बाबा विश्वनाथ कॉरिडोर बना अलबेला।
पर्यटकों का शिवभक्तों का लगा है रेला।
जीर्णोद्धार कर ढाईसौ साल बाद संवारा।
अतिसुंदर आकर्षक दिखने लगा नजारा।
जनता एवं भक्तों को मिला ये शिव द्वारा।
पीएम नरेंद्रमोदी जी के करकमलों द्वारा।
खुशी में झूमें नाचें डमडम डमरू बजाएं।
मस्त हुए भक्त ढोल नगाड़े दुंदुभी बजाएं।
निकली शिव बारात जो वाराणसी काशी।
शिव के सब बाराती मस्त मलंग उल्लासी।
शिवनगरी शिवपरिसर अच्छी लगे खासी।
जयजय हो हे! बाबा विश्वनाथ अविनाशी।
महाकाल का भभूत  लगा घूमते सन्यासी।
झांझ मंजीरा चिमटा डमरू बाजेहै काशी।
बड़ा गर्व महसूस होताहै जो जाता काशी।
घट-2 में वसे हैं श्रीराम व शिवअविनाशी।
दूर-2 से मोक्ष पाने लोग यहां आते काशी।
मोक्ष नगरी  कहाए भोले की नगरी काशी।
रचयिता :
डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.
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