कहाँवा से तू आईलू तुलसी, के ताहर माई बाबू हो,

कहाँके तु जन्मल तुलसी ,कहाँवा ब्याहील हो।

मथुरा जनमह लिहनी, ब्रम्हा हमरे बाबूजी हो,

गोविन्दे ब्याहील बानी, धरती हमरे महतारी हो। ।

हम तोहसे पूछी तुलसी ,कौने तपे कईलू हो,

पिया रुपे नारायण पईलू, कौने व्रते रखेलु हो।

माघे नहैनि सखी ,अग्यो ना तापिला हो,

मने गोविन्दे भावे, उनके व्रते रखिला हो। ।

कैसे ताहर ब्याहवा होखल, कौने दिन ब्याहलु हो,

हमके बताबह तुलसी, कैसे गोविंदे मने भाईलू हो।

सावन में जनमह लिहनी ,भादों में भईनी हरियर हो,

आशीन में होनी श्यान, गोविंदे मने भइनि हो। ।

गज मोती चौका दिहिलन ,कलशा धराइल हो,

कार्तिक माह के एकादशी दिने भगईल हमरे ब्याह हो।

कहेली जे तुलसी सखी से, कातिक नहीहह सखी ,

गोविंदे पूजन करिहह हो , रखीहह व्रते एकादशी के,

धूल जाइ जन्मे जन्मे के पाप हो । ।

गौरी तिवारी भागलपुर बिहार

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Gouri tiwari

By Gouri tiwari

I am student as well as a writer

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