सैर

काव्य कला कविता में कविवर प्रवीन थे।

सरस्वती शारदा की साधना में लीन थे।

दोहा रस छंद कला, कौशल अधीन थे।

ना ना भांति भक्ति भाव उर में नवीन थे।

जन्म 1888 विजया दशमीदेहावसान 14 जनवरी सन् 1961 दोहा

धन्य बिजावर की धरा, जंह जन्में कविराज।

गौरव बुंदेलखंड के, गौरव दिवस है आज।

काव्य कला, कविराज दो,देव दया दरषाय।

हिरदे बसकर हित करो,हिया रहे हरषाय।

छंद सहस दो रच गए,कवि बिहारी लाल।

सात सौ पद रच कर गए,जन हो गए निहाल।

तर्ज कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है। गीत

बिहारी जय तिहारी हो, बिहारी मय बिहारी हों।

रंगे थे, श्याम के रंग में, शारदा के पुजारी थे।

1 दशहरा को जन्म लीना, ब्रम्ह बेला सुहानी थी।

2टेक मगन मन मैया छैया लख,दूर दुःख से बिहानी थी 0…..

2 दादा दिलीप जी की ये आंखों के तारे थे 2 टेक किया पालन पोषण समुचित, वही इनके सहारे थे0……..

3 शिक्षा अरु दीक्षा बाहर नगर के, इननें पाईं थीं,

2 टेक तब आठ बरस में ही कवि की पदवी पाई थी 0….

4 बिजावर टीकमगढ़ के राजकवि को अब दुनिया जानें

2टेक नाम रोशन किया जग में,हर इक खंड ये जानें 0…..

5 छवि आर्कषक ,पैनी मूंछें,उनका तन गठीला था 2टेक सिर पै साफा,कमर कृपान तन अचकन सुहानी थी…..

6 भरें गागर में सागर को,ऐसीं रचना रची कविवर 2टेक आज जनमानस के मन में समाये है, ये सब जानें 0…….

7कई रचना प्रकाशित हुई, कई अब तक न हो पाई 2 टेक सैर दोहा सवैया को, लगे जन जन है,अब खानें 0.……

8 कहां तक मैं कहूं, उनकी कहानी,कह नहीं सकता 2 टेक बिहारी में समाये है बिहारी ये जहां जाने 0……….

रंगे थे, श्याम के रंग में, कोई जज्बात क्या जाने

9 हमें तो गर्व है,उनपर बात जन मन के गौरव की 2 दिवस गौरव मनाते हम उनका उपकार हम मानें।

बलराम यादव देवरा छतरपुर

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One thought on “कविराज श्री बिहारी लाल जी”

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