क्यूँ….?
तुम मुझे इतना याद आते हो।
क्यूँ…..?
तुम मुझे हर जगह नजर आते हो।
क्यूँ……?
तुम मुझे इतना सताते हो।
क्यूँ….…?
तुम मुझे इतना रुलाते हो।
क्यूँ……?
तुम भुलाये नही भूलते हो।
क्यूँ……?
तुम मुझे इतना तड़पाते हो।
क्यूँ……?
मेरी सांस पर तेरे नाम का पहरा हैं।
क्यूँ……?
कान्हा तुम मेरे रोम रोम बसे हो।
क्योंकि…..?
मीरा की तरह मैं हो नही सकती
राधा सा विरह सह नही सकती
तो क्यों मेरे मन में भक्ति की लौ
जलाते हो।
क्यूँ……?
कान्ह तुम इतना याद आते हो।
क्यूँ…?
गरिमा राकेश ‘गर्विता’
कोटा राजस्थान
Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

<p><img class="aligncenter wp-image-5046" src="https://rashmirathi.in/wp-content/uploads/2024/04/20240407_145205-150x150.png" alt="" width="107" height="107" /></p>