1 कर्म अनुरुप फल न मिले तो क्या करें।
कर्म करते रहे हम फल की चिंता क्यों करें।
आजकल द्रोणाचार्य बैठे हैं हर जगह,
हश्र हो रहा एकलव्य सा हम क्या करें।
2 कुछ नादान अपनी नादानी में खुश हैं।
कुछ लोग अपनी बेईमानी में खुश हैं।
अपनी ख़ुशी का तो पता नहीं हमको,
कुछ लोग बचपन तो कुछ लोग जवानी में खुश हैं।
बलराम यादव देवरा छतरपुर
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